सेवा का भाव एक ऐसा सहज भाव है जिसे भगवान महावीर के 2500वें निर्वाण वर्ष में अजमेर के जैन समाज के लोगों ने महसूस किया सोचा व 14 अग्रणी लोगों ने प्रथम कार्यकारिणी गठित कर श्री महावीर स्मारक सेवा समिति को एक संस्था का रूप दिया और समिति के प्रथम अध्यक्ष श्रीमान सेठ सम्पतमल जी लोढा बने ।
भगवान महावीर किसी वर्ग विशेष के नहीं थे। वे मानव ही नहीं प्राणी मात्र की सेवा की बात करते थे । उनके लिये सेवा सर्वोपरि रही | अत: संस्था का नाम फाउन्डरों ने श्री महावीर स्मारक सेवा समिति रखा। संस्था के गत 40 वर्षों का लेखा जोखा यह बताता है कि संस्थापकों द्वारा जिन उद्देश्यों के लिये संस्था का गठन किया है, गत वर्षों में समिति ने उन उद्देश्यों को प्राप्त करने का पूर्ण प्रयास किया है।
संस्थापकों का एक ही लक्ष्य था समाज में सेवा का भाव जाग्रत करना व जरूरतमंद लोगों की मदद करना इसी लक्ष्य के लिये श्री महावीर स्मारक सेवा समिति ने प्रत्येक कार्य कामयाबी के साथ किया है। गत वर्ष मुझे वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 की कार्यकारिणी में महामंत्री के पद पर कार्य करने का अवसर मिला। संरक्षक व अध्यक्ष महोदय के दिशा निर्देश के अन्तर्गत समिति अपने सेवा कार्यों को पूर्व को भांति लक्ष्यों को पाने में सजग है । गत वर्ष में पुष्कर मरुधर केसरी धाम में एक विशाल मेडीकल केम्प में 350 से अधिक रोगियों को परामर्श व दवा ( निशुल्क) समाज सेवी श्री अशोक जी विरमानी द्वारा
प्रदान की गई । स्वाईन फ्लू के रोकथाम में कालेड़ा ट्रस्ट के वरिष्ठ चिकित्सक वैद्य शान्त कुमार जी के मार्ग निर्देशन में सात दिन तक काढ़ा का वितरण का केम्प लगाया जिसमें लगभग 7000 से अधिक लोगों ने काढ़े का सेवन किया। समिति ने शरद ऋतु में 100 निर्धन छात्रों को समाज सेवी श्री अशोक जी विरमानी के सहयोग से एवं श्रीमती चंचल देवी बालचन्द लूणावत चेरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से स्वेटर वितरित किये गये ।
समिति भवन में केंसर एवं मधुमेह रोग निदान व परामर्श शिविर का आयोजन हुआ जिसमें राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. राहुल गुप्ता व डॉ. राजीव पारख ने अपनी सेवाएं दी । मुझे प्रसन्नता है कि श्री महावीर स्मारक सेवा समिति पिछले 40 वर्षो से मानव सेवा को समर्पित अग्रणी संस्था के रूप में अजमेर जिले में कार्य कर रही है । किसी भी संस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिये आवश्यकता होती है कुशल
नेतृत्व की और नेतृत्व में महत्वपूर्ण गुण जैसे सेवा की भावना रचनात्मक एवं सकारात्मक विचार, सामूहिक निर्णय एवं अनुशासन का होना जरूरी है।
पूर्व की भाँति वर्तमान नेतृत्व संस्थापक संरक्षक एवं अध्यक्ष जी संस्थान के प्रति सत्यनिष्ठा से समर्पित, मृदुभाषी,, कर्तव्यनिष्ट दूरदर्शी एवं टीमवर्क में विश्वास करते है । माननीय श्री आर .एस. कूमट सा., श्री मांगीलाल जी जैन व श्री इन्दरचन्द जी हरकावत हमेशा ही कार्यकर्ताओ को प्रोत्साहित करते रहे हैं । मेरा मानना है कुशल नेतृत्व से सेना की एक छोटी सी टुकड़ी के द्वारा बड़े से बड़ा युद्ध भी जीता जा सकता है।
पदम कुमार जैन