स्व. श्री मांगीलाल जी जैन
जन्म स्थान : टॉडगढ
जन्म तिथि : 2 अक्टूबर 1929
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके जीवन जीने का अंदाज सबके लिए प्रेरणा का सबब बन जाता है। उनका लोगों से मिलना जुलना, उनका स्वभाव, शांत व्यक्तित्व, वाणी में मघुरता, सरलता , सरसता और सहजता का समावेश उन्हें ऐसा बना देता है कि जो कोई भी उनसे मिलता है तो फिर उनका हो जाता है | स्व. श्री मांगीलाल जी जैन आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके विचारों की परिपक्वता से आज भी हम जीवन की सत्यत को समझ सफलता की राहों पर अपने डग भर सकते हैं।
व्यवसायिक कामयाबी एवं सामाजिक सहभागिता
श्री मांगीलाल जी जैन शिक्षा पूर्ण कर जीविकोपार्जन के रूप में अध्यापन जैसे पुनीत कार्य को चुना और अल्पावधि में ही आप सामान्य अध्यापक से प्रधानाध्यापक के महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हुए। कुछ समय पश्चात आपका चयन उप सचिव के पद पर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में हो गया। इस प्रकार राजस्थान शिक्षा बोर्ड आपकी कार्यशैली से प्रभावित होने लगा | सेवानिवृत्ति के बाद आप निदेशक-पत्राचार पाठ्यक्रम और गुरुदेव संत तुलसी की अनुकम्पा से कुलपति (कार्यवाहक ) जैन विश्व भारती , लाडनूं के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया । जीवन विज्ञान एवं जैन विद्या के क्षेत्र मे आपकी देन अविस्मरणीय है। आरम्भ से अंतिम श्वास तक आप इसके निदेशक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। आपके सद् प्रयासों से ही राजस्थान के विभिन्न महाविद्यालयों में सुचारू रूप से इसका अध्ययन करवाया जा रहा है । व्यवसाय जगत में भी आपका स्थान अग्रणीय रहा है।
जीवन के 87 बसंत पार करने के पश्चात् भी आप अपनी अंतिम श्वास तक अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए रहे । आप भारत जैन महामण्डल के राजस्थान प्रान्त के उपाध्यक्ष , महावीर स्मारक सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में संस्थापक संरक्षक सदस्य, सिटीजन कौंसिल के सदस्य रहे है । इतना ही नहीं आपने स्थानीय जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की ऑर्थेपिडिक इकाई एवं आई .सी सी यू . हृदय संस्थान के विकास हेतु दानदाताओं से अर्थ उपलब्ध करवाकर महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। कारगिल युद्ध के समय शहीदों के परिवारों की सहायता के पुनीत कार्य के लिए राशि एकत्र करवाकर राजस्थान मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा कराई । आपने सिटीजन कौंसिल के माध्यम से ‘ राधा-कृष्ण ‘ गौ सेवा शिविर में आठ माह तक सेवा कर पुरुषार्थ का परिचय दिया। यही कारण है कि आपको समय-समय पर इन सराहनीय कार्यों के लिए “श्रेष्ठ शिक्षक ‘, भारत जैन महामण्डल द्वारा राज्य स्तर पर ‘ श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता ‘ एवं जिला प्रशासन द्वारा ‘ अच्छे सामाजिक कार्यकर्त्ता ‘ के सम्मान से नवाजा गया हैं । गुरु दृष्टि की आराधना करना ही आपके जीवन का परम लक्ष्य है । संघ के प्रति अटूट समर्पण के कारण आपको सितम्बर 2004 सिरियारी में श्री नेमचन्द जेसराज सेखानी चेरिटेबल ट्रस्ट से प्रायोजित श्री जैन विश्व भारती द्वारा संघ सेवा पुरस्कार-2005 देने की घोषणा की गई । इसके अन्तर्गत 1 .25 लाख रुपये की नकद राशि, प्रतीक चिन्ह, अभिनन्दन पत्र एवं शॉल प्रदान की जाती है । निश्चय ही परिवार के साथ-साथ जन्म एवं कर्मभूमि को गौरवान्वित कर आने वाली पीढ़ी के लिए आप प्रेरणा के स्नोत बन गये हैं ।
जीवन मंत्र
जीवन में कुछ करना है तो मन के हारे मत बैठो | आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो । ऐसे ही विचार को अपने मन में धारे आप लगातार ज़िन्दगी की राहों पर आगे बढ़ते रहे । किसी से कोई गिला नहीं, न ही कोई शिकवा और न शिकायत, बस चेहरे पर मुस्कान और जुबां पर हमेशा भगवान का नाम | मांगीलाल जी की जीवन यात्रा ने जीव मात्र के प्रति मन में करूणा भाव एवं संयमित रहकर अपने जीवन को ऊँचाईयां प्रदान करने का मंत्र हम सब को अवश्य दिया ।